स्वदेश दर्शन 2.0 में होगा पोरवोरिम और कोल्वा चुनौती आधारित पर्यटन स्थल विकास
नयी दिल्ली: स्वदेश दर्शन 2.0 के अंतर्गत पोरवोरिम और कोल्वा में होगा “चुनौती आधारित पर्यटन स्थल विकास”। इसका उद्देश्य है पर्यटन मूल्य श्रृंखला में पर्यटकों के अनुभव को और भी अच्छा करने के लिए पर्यटक स्थलों का समग्र विकास करना, ताकि पर्यटन स्थलों को टिकाऊ और जिम्मेदार गंतव्यों के रूप में बदला जा सके। बसेलिका ऑफ़ बोम जीसस का स्वदेश दर्शन और तीर्थयात्रा कायाकल्प एवं आध्यात्मिक, विरासत संवर्द्धन अभियान के तहत विकास किया जाएगा।
पर्यटन मंत्रालय ‘स्वदेश दर्शन’ की अपनी चल रही केंद्रीय क्षेत्र योजना के माध्यम से राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेश प्रशासनों को वित्तीय सहायता प्रदान करके पर्यटन बुनियादी ढांचे के विकास के प्रयासों को पूरा करता है। पर्यटन मंत्रालय ने स्वदेश दर्शन योजना के अंतर्गत बिहार राज्य में 262.72 करोड़ रुपये की 05 परियोजनाऐं स्वीकृत की है।
पर्यटन मंत्रालय ने हाल ही में गंतव्य एवं पर्यटन-केंद्रित दृष्टिकोण का पालन करते हुए स्थायी और विख्यात पर्यटन स्थलों को विकसित करने के उद्देश्य से स्वदेश दर्शन योजना को स्वदेश दर्शन 2.0 (एसडी2.0) के रूप में नया स्वरूप प्रदान किया है। मंत्रालय ने राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के परामर्श से और योजना दिशानिर्देशों के अनुरूप, स्वदेश दर्शन 2.0 के तहत विकास के लिए देश में 57 स्थलों की पहचान की है, जिसमें बिहार में ‘गया’ तथा ‘नालंदा’ भी शामिल हैं। इसके अलावा, मंत्रालय ने स्वदेश दर्शन 2.0 के तहत एक उप-योजना ‘चुनौती आधारित गंतव्य विकास’ (सीबीडीडी) के तहत बिहार में संस्कृति व विरासत स्थलों की श्रेणी में ‘भागलपुर’ और ‘सारण जिला (सोनेपुर मेला)’ की पहचान की है।
यह जानकारी केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
पर्यटन मंत्रालय ने देश में सतत और जिम्मेदार पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकारों के साथ साझेदारी में पर्यटन स्थलों के ठोस विकास के लिए एक मजबूत ढांचा बनाने के मिशन के साथ स्वदेश दर्शन 2.0 के रूप में अपनी स्वदेश दर्शन योजना को नया रूप दिया है।स्वदेश दर्शन 2.0 योजना के तहत विकास के लिए अब तक 32 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 57 स्थलों की पहचान की गई है। स्वदेश दर्शन 2.0 के अंतर्गत उप-योजना “चुनौती आधारित पर्यटन स्थल विकास” का उद्देश्य पर्यटन मूल्य श्रृंखला में पर्यटकों के अनुभव को और भी अच्छा करने के लिए पर्यटक स्थलों का समग्र विकास करना है, ताकि हमारे पर्यटन स्थलों को टिकाऊ और जिम्मेदार गंतव्यों के रूप में बदला जा सके। इस योजना के अंतर्गत, पर्यटन मंत्रालय ने 4 श्रेणियों में 42 पर्यटन स्थलों की पहचान की है। पर्यटन स्थलों की ये चार श्रेणियां हैं – संस्कृति और विरासत स्थल, आध्यात्मिक पर्यटन, इकोटूरिज्म और अमृत धरोहर गंतव्य और जीवंत गांव कार्यक्रम गंतव्य।
स्वदेश दर्शन 2.0 और तीर्थयात्रा कायाकल्प एवं आध्यात्मिक, विरासत संवर्धन अभियान (प्रसाद) योजनाओं के तहत आरंभ की गई शेष परियोजनाएं कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं। ‘स्वदेश दर्शन’ और ‘प्रसाद’ योजनाओं के तहत पर्यटन मंत्रालय राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासनों या देश में पर्यटन बुनियादी ढांचे के विकास के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराता है। जहां स्वदेश दर्शन 2.0 का संशोधित संस्करण पर्यटन गंतव्यों के टिकाऊ और जिम्मेदार विकास पर ध्यान केंद्रित करता है, प्रसाद योजना का लक्ष्य चिन्हित गंतव्य स्थलों पर तीर्थयात्रा/आध्यात्मिक पर्यटन संबंधी बुनियादी ढांचा का विकास और उनका सृजन करना है। स्वदेश दर्शन 2.0 स्कीम के तहत, राज्य सरकारों को टिकाऊ पर्यटन गंतव्यों का सृजन करने के लिए समग्र योजना निर्माण पर ध्यान केंद्रित करते हुए विविध पुनरावृतियों में गंतव्य मास्टर प्लान, कार्यनीति और कार्य योजना विकसित करने की आवश्यकता है। मास्टर प्लान कार्यान्वयन योग्य परियोजनाओें से उत्पन्न होने वाले गंतव्यों की स्थिरता, वहन क्षमता, आने वाले लोगों की संख्या, आर्थिक लाभ आदि का आकलन करेगा। पर्यटन मंत्रालय द्वारा स्वीकृत परियोजनाएं पर्यटकों और तीर्थयात्रियों के लिए गुणवत्तापूर्ण पर्यटन अनुभव में वृद्धि करने पर ध्यान केंद्रित करती है जिसके परिणामस्वरूप गंतव्य स्थलों पर कार्यकलापों में वृद्धि होती है।
इसके अतिरिक्त, पर्यटन मंत्रालय ने टिकाऊ पर्यटन के बारे में जागरुकता पैदा करने और पर्यटकों तथा पर्यटन व्यवसायों को प्रकृति के साथ स्थिर कार्यप्रणालियों को अपनाने के लिए प्रेरित करने के लिए मिशन लाइफ के तहत पर्यटन सेक्टर के लिए एक कार्यक्रम ट्रैवेल फॉर लाइफ (टीएफएल) की परिकल्पना की है। इस कार्यक्रम का लक्ष्य पर्यटन में स्थिरता को मुख्य धारा में लाना तथा एक टिकाऊ, जिम्मेदार और अनुकूल पर्यटन क्षेत्र का विकास करना है जो चक्रीय अर्थव्यवस्था और व्यापक स्तर पर व्यवहारगत बदलावों पर ध्यान केंद्रित करता है।
पर्यटन मंत्रालय ने भारत में निम्न कार्बन, समावेशी तथा अनुकूल पर्यटन क्षेत्र का निर्माण करने के लिए आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरण संबंधी लाभों को बढ़ाने के मिशन के साथ टिकाऊ पर्यटन पर एक राष्ट्रीय कार्यनीति भी तैयार की है।
पर्यटन मंत्रालय ने स्वदेश दर्शन 2.0 (एसडी 2.0) के तहत 32 राज्यों में विकास के लिए 57 गंतव्य स्थलों की पहचान की है। इसके अतिरिक्त, मंत्रालय ने स्वदेश दर्शन स्कीम के तहत एक उप-योजना चुनौती आधारित गंतव्य स्थल विकास (सीबीडीडी) में भी 42 गंतव्य स्थलों का चयन किया है। गोवा का बसेलिका ऑफ़ बोम जीसस का स्वदेश दर्शन और तीर्थयात्रा कायाकल्प एवं आध्यात्मिक, विरासत संवर्द्धन अभियान के तहत विकास होगा।
यह जानकारी केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत द्वारा लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी गई।
यूएनडब्ल्यूटीओ बैरोमीटर, मई 2024 के अनुसार, एशिया और प्रशांत क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन में तेजी से सुधार हो रहा है। इस क्षेत्र में 2024 की पहली तिमाही में सैलानियों का आगमन कोविड महामारी के पहले के स्तर का 82% तक पहुंच गया। भारत में एशिया और प्रशांत क्षेत्र की तुलना में सबसे मजबूत सुधार दिख रहा है, जहां इसी अवधि में सैलानियों का आगमन कोविड महामारी के पहले के स्तर का 89% तक पहुंच गया।भारत को टिकाऊ और जिम्मेदार पर्यटन के लिए एक पसंदीदा वैश्विक गंतव्य के रूप में स्थापित करने के लिए, पर्यटन मंत्रालय ने टिकाऊ पर्यटन के लिए राष्ट्रीय रणनीति तैयार की है। Image Courtesy : Social Media
Author: Goa Samachar
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