ग्रामीण विकास मंत्रालय
लखपति दीदी योजना
जलगांव: देश भर में स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) ने सामूहिक कार्यप्रणाली और आपसी सहयोग को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई है। इन समूहों का मुख्य लक्ष्य आर्थिक रुप से कमज़ोर नागरिकों के कौशल विकास और आजीविका के साधनों में वृद्धि कर उन्हें स्वरोज़गार के लिए सशक्त बनाना है।
वे अपने कौशल और क्षमता के कारण उच्च आय वर्ग की ओर बढ़ने के लिए अच्छी स्थिति में हैं। भारत सरकार अब इस बदलाव और ‘लखपति दीदी’ जैसे कार्यक्रमों का काफी सक्रियता से समर्थन कर रही है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 25 अगस्त, 2024 को महाराष्ट्र के जलगांव में लखपति दीदी सम्मेलन में भाग लिया। वहा उन्होंने 11 लाख नई लखपति दीदियों को प्रमाण पत्र दिए और सम्मानित किया।
लखपति दीदी कार्यक्रम की शुरुआत से लेकर अब तक एक करोड़ से अधिक स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को लखपति दीदी बनाया जा चुका है और सरकार ने 3 करोड़ लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य रखा है।
लखपति दीदी स्वयं सहायता समूह की सदस्य होती है, जिसकी वार्षिक पारिवारिक आय एक लाख रुपये (1,00,000 रुपये) या इससे अधिक होती है। इस आय की गणना ऐसे कम से कम चार कृषि सीजन और/ अथवा व्यावसायिक चक्रों के लिए की जाती है, जिसमें औसत मासिक आय 10 हजार रुपये (10,000 रुपये) से अधिक हो ताकि उसकी निरंतरता बनी रहे। लखपति कार्यक्रम सभी सरकारी विभागों/ मंत्रालयों, निजी क्षेत्र और बाजार प्रतिभागियों के बीच तालमेल सुनिश्चित करते हुए आजीविका की विविध गतिविधियों की सुविधा प्रदान करता है।
इस रणनीति में केंद्रित योजना, परिसंपत्ति, फाइनेंस, बाजार, प्रौद्योगिकी आदि के मामले में पर्याप्त व समय पर समर्थन और सभी स्तरों पर कार्यान्वयन एवं निगरानी शामिल हैं। राज्यवार लक्ष्यों की जानकारी के लिए यहां यहां क्लिक करें।
लखपति दीदीयों को समर्थ बनाने के लिए मंत्रालय ने पांच चरणों की प्रक्रिया शुरू की है, जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं:
संभावित लखपति दीदियों की पहचान।
मास्टर ट्रेनर और कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन का एक पूल तैयार करना।
स्वयं सहायता समूहों व उसके संघों, कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन, मास्टर ट्रेनर और इस कार्यक्रम का समर्थन करने वाले कर्मचारियों/ विशेषज्ञों जैसे विभिन्न हितधारकों का व्यापक प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण।
संभावित लखपति दीदियों को विभिन्न आजीविका मॉडलों पर प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण एवं संपर्क के लिए दौरे और स्वयं सीखने के लिए उपयुक्त दस्तावेजों को सुलभ बनाना।
पहचान किए गए परिवारों के लिए लखपति योजना तैयार करना, विभिन्न योजनाओं को समेकित करना और उत्पाद एवं/ अथवा सेवा क्लस्टर का विकास, मूल्य श्रृंखला में हस्तक्षेप, विभिन्न हितधारकों, सरकारी योजनाओं, निजी क्षेत्र की भागीदारी आदि के साथ तालमेल स्थापित करना।
सहारा एवं लिंकेज के लिए पहचान की गई दीदियों के साथ कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन की मैपिंग।
आजीविका संबंधी गतिविधियों और आय का समय-समय पर खुलासा (कृषि सीजन से जुड़ी 6 महीने की अवधि और/या व्यवसाय चक्र पूरा होने पर) करने के लिए डिजिटल आजीविका रजिस्टर।
संभावित लखपति दीदियों की पहचान के मानदंड
संभावित लखपति दीदियों की पहचान करते समय स्वयं सहायता समूहों की सभी श्रेणियों (सामाजिक और आर्थिक) को समान अवसर दिया जाता है। परामर्श प्रक्रिया के जरिये संभावित लखपति दीदियों की पहचान की जाती है।
लखपति दीदी पर कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन के प्रशिक्षण में शामिल विषय
कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन जमीनी स्तर पर मंत्रालय के स्तंभ हैं और वे लखपति दीदी आजीविका योजना तैयार करने के लिए हाथ बढ़ा रहे हैं। उनके लिए दो दिवसीय व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार किया गया है, जिसमें उनकी भूमिका के लिए आवश्यक ज्ञान एवं कौशल को ध्यान में रखा गया है।
स्वयं सहायता समूहों और उसके सदस्यों के लिए उपलब्ध वित्तीय सहायता
लखपति दीदी योजना विभिन्न वित्तीय साधनों के जरिये आर्थिक सशक्तिकरण के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण प्रदान करती है। इन वित्तीय साधनों को ऋण तक पहुंच बढ़ाने, उद्यमशीलता को प्रोत्साहित करने और देश भर में महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) एवं व्यक्तिगत उद्यमियों के बीच वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए डिजाइन किया गया है।
पूंजी जुटाने में मदद
रिवॉल्विंग फंड: आंतरिक तौर पर ऋण देने की प्रक्रिया को गति देने और सदस्यों की तात्कालिक वित्तीय जरूरतों को पूरा करने में समर्थ बनाने के लिए हरेक पात्र स्वयं सहायता समूह को 20,000 से 30,000 रुपये दिए जाते हैं।
सामुदायिक निवेश कोष (सीआईएफ): यह वित्तीय सहायता केवल स्वयं सहायता समूहों और उनके संघों को ऋण देने के लिए दी जाती है ताकि सदस्य सूक्ष्म ऋण/ निवेश योजनाओं के अनुसार सामाजिक एवं आर्थिक गतिविधियां कर सकें। सामुदायिक निवेश कोष के तहत स्वीकार्य अधिकतम रकम 2.50 लाख रुपये प्रति स्वयं सहायता समूह है।
बैंक ऋण
स्वयं सहायता समूहों के लिए 20 लाख रुपये तक का बिना किसी रेहन के बैंक ऋण।
ब्याज अनुदान: महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा बैंकों/ वित्तीय संस्थानों से लिए गए सभी ऋण पर बैंकों की ब्याज दर और 7 प्रतिशत के बीच के अंतर को कवर करने के लिए प्रति स्वयं सहायता समूह अधिकतम 3,00,000 रुपये का ब्याज अनुदान।
ओवरड्राफ्ट सुविधा: जन-धन खाता रखने वाली स्वयं सहायता समूह के हर महिला सदस्य 5,000 रुपये की ओवरड्राफ्ट (ओडी) सीमा के लिए पात्र है।
वुमेन एंटरप्राइज एक्सेलेरेशन फंड
यह स्वयं सहायता समूह की महिला उद्यमियों को व्यवहार्य उद्यमों में निवेश करने, नए व्यवसाय शुरू करने, मौजूदा उद्यमों के विकास एवं विस्तार के लिए मध्यावधि से लेकर दीर्घकालिक ऋण सुविधा उपलब्ध कराने के लिए एक समर्पित कोष है।
1. व्यक्तिगत उद्यमों के लिए
उद्यमों को 5 वर्ष की अधिकतम अवधि के लिए 5 लाख रुपये तक के लिए ऋण गारंटी सहायता।
3 वर्ष की अधिकतम अवधि के लिए 1.5 लाख रुपये तक के ऋण पर ब्याज अनुदान।
2. उद्यम समूहों/ एफपीओ के लिए
उद्यम समूहों/ एफपीओ को ऋण देने वाली संस्थाओं को दी गई कुल उधारी का 50 प्रतिशत (अथवा 2 करोड़ रुपये तक में भी कम हो) तक कोलेटरल सपोर्ट।
क्रेडिट गारंटी शुल्क की प्रतिपूर्ति: ऋण देने वाले संस्थानों को 5 वर्ष की अवधि के लिए अधिकतम 5 करोड़ रुपये के ऋण पर लगाए गए शुल्क।
महिला समूहों को प्रोत्साहन: समूह को अधिकतम 25 लाख रुपये या ली गई उधारी का 10 प्रतिशत प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा।
लखपति मार्गदर्शक
लखपति मार्गदर्शक इस मिशन के कर्मचारियों, सामुदायिक संगठनों, कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन, स्वयं सहायता समूह की दीदियों एवं अन्य हितधारकों के लिए एक मार्गदर्शक दस्तावेज है। यह लखपति दीदी कार्यक्रम के निम्नलिखित पहलुओं का विवरण देता है।
https://pib.gov.in/PressReleseDetail.aspx?PRID=2050216
Author: Goa Samachar
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