लंदन : पराजित ऋषि सुनक ने दया, शालीनता और सहनशीलता का आह्वान करते हुए त्यागपत्र दे दिया। ऋषि सुनक ने शुक्रवार ५ जुलाई को कहा कि कीर स्टार्मर की लेबर पार्टी से भारी हार के बाद वह प्रधानमंत्री और कंजर्वेटिव पार्टी के नेता के पद से इस्तीफा दे देंगे, माफी मांगते हुए, ब्रिटेन को श्रद्धांजलि देते हुए और शालीनता और सहनशीलता “दया” की रक्षा करने के आह्वान के साथ पद छोड़ देंगे। ” उनकी हार से कंजर्वेटिव सरकार के 14 वर्षों का कार्यकाल समाप्त हो गया – विभाजन, राजनीतिक अस्थिरता और, हाल ही में, आर्थिक पीड़ा से चिह्नित अवधि। उन्होंने दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का नियंत्रण केंद्र-वामपंथी लेबर पार्टी के नेता कियर स्टार्मर को सौंप दिया।
भारतीय मूल के ऋषि सुनक की जगह अब लेबर पार्टी के नेता कियर स्टारमर ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री हैं।कंजर्वेटिव पार्टी के प्रधानमंत्री के रूप में ऋषि सुनक भले ही हमेशा ब्रिटेन के हितों को आगे रखते थे, लेकिन एक भारतवंशी होने की वजह से कहीं न कहीं भारत के लिए उनके मन में एक सॉफ्ट कॉर्नर जरूर रहा होगा और यह बात पीएम मोदी के साथ उनकी मुलाकातों में नजर भी आती थी। ऐसे में स्टारमर के आने के बाद भारत और ब्रिटेन के रिश्ते पर असर पर सकता है।
स्टॉर्मर के नए कैबिनेट गठन में डेविड लेमी बने है विदेशमंत्री , जिनका भारत से अच्छा सम्बन्ध रहा है। लैमी ने पूर्व पीएम बोरिस जॉनसन द्वारा मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के लिए निर्धारित दिवाली 2022 की समय सीमा चूक जाने का जिक्र करते हुए कहा था, ‘कई दिवाली बिना किसी व्यापार समझौते के गुजर गई और बहुत सारे व्यवसाय इंतजार में रह गए। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को मेरा संदेश है कि लेबर पार्टी आगे बढ़ने के लिए तैयार है। आइये, मुक्त व्यापार समझौता करें और आगे बढ़ें।’ लैमी ने यह भी कहा था कि अगर वह सरकार में शामिल हुए तो जुलाई के खत्म होने से पहले दिल्ली में होंगे।
लैमी ने लेबर पार्टी के लिए भारत को एक ‘प्राथमिकता’ और एक आर्थिक, तकनीकी और सांस्कृतिक ‘महाशक्ति’ बताया। उन्होंने कहा था, ‘लेबर पार्टी के सत्ता में आने के साथ, बोरिस जॉनसन द्वारा एशिया में रुडयार्ड किपलिंग की पुरानी कविता को सुनाने के दिन खत्म होने वाले हैं। अगर मैं भारत में कोई कविता सुनाऊंगा, तो वह टैगोर की होगी क्योंकि भारत जैसी महाशक्ति के साथ, सहयोग और सीखने के क्षेत्र असीमित हैं।’
लैमी ने भारत के साथ साझेदारी में काम करते हुए ‘स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत’ पर जोर दिया। चीन और रूस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा था ‘हम नियम-आधारित व्यवस्था के पक्ष में हैं और उनके खिलाफ हैं जो साम्राज्यवाद के एक नए रूप के साथ बलपूर्वक सीमाओं को फिर से बनाना चाहते हैं। जैसे कि यूरोप में पुतिन और एशिया में वे जो अपने पड़ोसियों पर अपनी इच्छा थोपना चाहते हैं और उन्हें स्वतंत्र विकल्प से वंचित करना चाहते हैं।’
ब्रिटैन दिवालिया की दौर से गुजर रहा है। ब्रिटेन और भारत के बीच भविष्य में अच्छे संबंधों की सबसे बड़ी वजह इकोनॉमी है। एक तरफ जहां ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था चरमराई हुई है, बर्मिंगम जैसे शहर दिवालिया घोषित हो रहे हैं तो दूसरी तरफ भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है। ऐसे में किसी भी बड़ी अर्थव्यवस्था के लिए भारत को अनदेखा करना बहुत मुश्किल है। इन सारी बातों को देखते हुए कहा जा सकता है कि आने वाले वक्त में भी भारत और ब्रिटेन के रिश्तों में आमतौर पर गर्मजोशी ही देखने को मिलेगी।
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Author: Goa Samachar
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