भारत के मुख्य न्यायाधीश डॉ. डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा कि प्रकृति के साथ एकता में जीवन जीने से लोगों को जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने में मदद मिल सकती है। वह गोवा के राज्यपाल द्वारा संकलित और संपादित ‘ट्रेडिशनल ट्रीज़ ऑफ भारत’ नामक पुस्तक का विमोचन करने के बाद बोल रहे थे।
सीजेआई डॉ. चंद्रचूड़ ने कहा कि, प्रकृति वर्तमान में रहती है इसलिए प्राकृतिक संसाधनों का उतना ही उपयोग करना चाहिए जितनी जरूरत है और भविष्य की जरूरतों के लिए प्रकृति का शोषण नहीं करना चाहिए। उन्होंने पारंपरिक पेड़ों पर आधारित पुस्तक के संकलन के लिए गोवा के राज्यपाल श्री पी.एस. श्रीधरन पिल्लई के प्रयासों की सराहना की। यह पुस्तक मानव जीवन में प्रकृति के महत्व को प्रतिध्वनित करती है। पेड़-पौधे मनुष्य और प्रकृति से जुड़े हुए हैं। पुस्तक में शामिल विभिन्न पारंपरिक पेड़ों के बारे में जानकारी मानव संस्कृति और धरती माता के बीच मजबूत संबंधों का महिमामंडन करती है। एक संगोष्ठी ‘भारत के पारंपरिक पेड़’ जो पिछले दिनों राजभवन में आयोजित की गई थी।
डॉ. चन्द्रचूड़ ने राज्यपाल श्री को बधाई दी। पिल्लई को साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए सम्मानित किया गया। उन्होंने राज्यपाल द्वारा आम लोगों की सेवा के लिए चलायी जा रही विभिन्न सामाजिक पहल की भी सराहना की।
राज्यपाल श्री. पी.एस. श्रीधरन पिल्लई ने न्यायिक प्रणाली में स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए सीजेआई डॉ. चंद्रचूड़ के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के 10 हजार से अधिक निर्णयों का स्थानीय भाषाओं में अनुवाद करने का निर्णय सराहनीय पहल है, जिससे आम लोग अपनी स्थानीय भाषाओं में कानूनी निर्णयों तक पहुंच सकेंगे। भारत में जीवंत लोकतंत्र है जहां भारतीय संविधान को अपनी कार्यप्रणाली से भारतीय न्यायालयों से हमेशा अधिकतम सम्मान मिला है,’ श्री पिल्लई ने जोड़ा।
Author: Goa Samachar
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