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कोई कहता है बदलता है ज़माना, हम वो है जो ज़माने को बदल दे ! गोवा में भारत का 54वां अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव इफ्फी में महिला सशक्तिकरण का उत्सव

कोई कहता है बदलता है ज़माना, हम वो है जो ज़माने को बदल दे !
गोवा में भारत का 54वां अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव इफ्फी में महिला सशक्तिकरण का उत्सव

#GOAIFFI54

डेलीला लोबो, उपाध्यक्ष , एंटरटेनमेंट सोसाइटी ऑफ गोवा, गोवा सरकार

फिल्म महोत्सवों में महिला सशक्तिकरण फिल्म उद्योग में लैंगिक समानता के व्यापक आंदोलन का एक महत्वपूर्ण पहलू है। महिलाओं द्वारा फिल्मों का प्रदर्शन यानी  फिल्म महोत्सव, महिलाओं द्वारा निर्देशित, निर्मित और लिखित फिल्मों को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच प्रदान करते हैं। इससे फिल्म उद्योग में महिलाओं की आवाज़, दृष्टिकोण और योगदान को उजागर करने में मदद मिलती है।
गोवा में 54वां भारतीय अंतराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में महिला सशक्तिकरण का बेमिसाल स्वरुप  देखने को मिला। भारत सरकार और गोवा सरकार के अग्रणी पदों पर महिला अधिकारियो ने  इस अंतराष्ट्रीय आयोजन का सकुशल प्रतिस्पादन किया, वही देश विदेश की 40 महिला  फिल्म निर्माताओं को आमंत्रित कर मंच प्रदान किया गया।  गोवा इफ्फी 54 ‘वसुदेव कुटुंबकम’ के विचार पर आधारित है और भारत सरकार  देश को फिल्म शूटिंग के लिए सबसे पसंदीदा गंतव्य बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। और सबसे बड़ी बात कि  देश और राष्ट्र निर्माण में  ‘आधी आबादी ‘ का अधिकार और कर्तव्य अहम् है और गोवा इफ्फी 54 में यह संतुलन बखूबी देखने को मिला।

अंकिता शर्मा, सीइओ, एंटरटेनमेंट सोसाइटी ऑफ गोवा, गोवा सरकार

गोवा इफ्फी 54 में महिलाओं का बहुत ही पॉजिटिव रोल देखने को मिला है। सबसे बड़ा उदाहरण तो एंटरटेनमेंट सोसाइटी ऑफ गोवा जहां वाईस चेयरमैन महिला है, मैं सीइओ महिला और हमारी जीएम भी महिला है। आर्गेनाईजेशन को जो आगे  लेकर जा रही है वो टॉप पोजीशन में महिलाएं ही है। रेड कारपेट पर महिलाएं है , बहुत वृद्धि हुई है और यह गर्व की बात है। गोवा इफ्फी में हर स्तर पर बहुत ही अच्छी भागीदारी रही है।
क्वालिटी ऑफ़ वर्क के आधार पर महिलाएं आगे आयी है। हमें मालूम है इसके लिए उन्हें बहुत मेहनत करनी पडी, जो आज हम ये बात  कह पा रहे है। टैलेंट पहले भी था, पर आज प्लेटफार्म मिल रहा है , जहां वो अपने टैलेंट को दिखा पा रही है।  मैं कहना चाहूंगी अगर  टैलेंट है तो आगे आइये और खुद को कम में सेटल मत करें , खुद को पुश करे , ज़रूर अवसर मिलेगा , सफलता मिलेगी और गोवा इफ्फी इसका बहुत बड़ा उदाहरण है।
गोवा सरकार ने महिला अधिकारियों को महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी देने में कोई भेदभाव  नहीं किया है। सारे महत्वपूर्ण पोर्टफोलियो देने में कोई संकोच नहीं है कि महिला है तो ये पोर्टफोलियो कैसे दे। मुझे  कमिश्नर ऑफ़ एक्साइज का चार्ज मिला और लोगों  ने कहा बहुत समय के बाद इस पद पर महिला आयी है , तो गोवा सरकार का ध्यान जेंडर नहीं , बल्कि काम है और यह बहुत ही सकरात्नक सोंच है .-कहना है अंकिता शर्मा, सीइओ, एंटरटेनमेंट सोसाइटी ऑफ गोवा, गोवा सरकार का।

मृणाल निकेत वाके, महाप्रबंधक, एंटरटेनमेंट सोसाइटी ऑफ गोवा, गोवा सरकार

“इसमें कोई शक नहीं कि इफ्फी 2023 में महिलाएं अहम भूमिका निभा रही हैं, जिसे हर कोई “नारी शक्ति” कह रहा है। हालाँकि, महिलाएँ अधिक ऊँचाइयाँ हासिल करने, उत्कृष्टता हासिल करने और इस शक्ति का प्रदर्शन करने में सक्षम हैं, क्योंकि हमारे पुरुष समकक्ष खुले दिमाग से अपना समर्थन देने में सक्षम हैं और एक ही लक्ष्य के साथ हमारे साथ चल रहे हैं।”- मानना  है  मृणाल निकेत वाके, महाप्रबंधक, एंटरटेनमेंट सोसाइटी ऑफ गोवा का।

श्रीमती मिलन एस. वांयगणकर, जॉइंट डायरेक्टर ऑफ़ एकाउंट्स, एंटरटेनमेंट सोसाइटी ऑफ़ गोवा, गोवा सरकार

श्रीमती मिलन एस. वांयगणकर का कहना है कि ‘मेहनत से मुकाम हासिल किया है’। श्रीमती मिलन एस. वांयगणकर, एंटरटेनमेंट सोसाइटी ऑफ़ गोवा में जॉइंट डायरेक्टर ऑफ़ एकाउंट्स के पद पर पदस्थापित है और सालों से इफ्फी का काम सँभाल रही है।
“मुख्यमंत्री डॉ प्रमोद सावंत हमारे इएसजी के चेयरमैन है और उनका सपोर्ट  है कि हम अपने काम में पूरा 100  परसेंट देते है।  ग्रांट का हो या  कोई भी प्रॉब्लम  हो ,वो तुरंत  सॉल्व  करते  है। महिलाओं को आगे लाने के लिए उन्होंने कई कार्यक्रम  किये है और वो अब भी जारी है।”- कहना है उनका .
शादी  के महज तीन  साल बाद पति की मृत्यु के बाद वो लगातार काम करते हुए  अपने दो बच्चों को पढ़ा लिखा कर बड़ा किया । 29  सालों से काम कर रही मिलन ने गोवा इफ्फी में भी लगातार काम किया है।  वो कहती है – “हर जगह वीमेन पावर गाड़ी पर है। अपने करियर पर ध्यान  है, सब  फिल्ड में आगे  है। इफ्फी में हमारा आर्गेनाईजेशन फीमेल डोमिनेन्स है। हमलोग  हमेशा मिलकर इफ्फी को सफल बनाने का प्रयास करते है।”

इएसजी के अलावा प्रेस सूचना विभाग में भी महिला प्रशासनिक अधिकारियों ने भी 54 वे इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ़ इंडिया में अग्रीणी भूमिका में रही और अपने नेतृत्व में ज़िम्मेदारी का भलीभांति पूर्ति की।

मोनिदीपा मुखर्जी, महानिदेशक, पीआईबी, पश्चिम क्षेत्र, भारत सरकार

इस 54वां  इफ्फी में 40  महिला फिल्म निर्माताओं की फिल्मों का स्क्रीनिंग हो रहा है। इतने बड़े  पैमाने पर होनेवाला ये पहला मौका है और यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है नेफडीसी और सेलेक्टर्स के लिए  की इतनी  सारी  महिलाओं  ने  फिल्में  बनाई।   और महिलाओं के लिए भी ख़ास है , जो पिछले कुछ वर्षों तक नहीं था।  यह ह्रदय को छू लेने वाली बात है।  यह सिर्फ फीचर फिल्म में नहीं बल्कि डॉक्युमेंट्री श्रेणी में भी देखने को मिला।  सिर्फ अभिनेत्री नहीं बल्कि निर्माता , निर्देशक के तौर पर भी सामने आयी है। गुनीत मोगा की हुई मास्टर्स क्लास में युवाओं को और खासकर महिलाओ को काफी प्रेरणा मिली।
गोवा समाचार के एक सवाल जवाब देते हुए उन्होंने कहा ,” पहले की तुलना में आज काफी फर्क नज़र आया है। मई उस जमाने से फेस्टिवल कर रही हूँ जब फेस्टिवल अलग अलग शहर में घूमता था। तीन -चार फेस्टिवल अटैनेड की थी तब बहुत कम महिला निर्देशिका होती थी।  नब्बे की दशक की बात कर रही हूँ अभिनेत्रियां थी देश विदेश की।  नब्बे से 2023  में काफी फर्क आया है , पर अभी हमें बहुत काम करना है।

प्रज्ञा गौड़ ,महानिदेशक, प्रेस सूचना ब्यूरो, भारत सरकार

‘महिलाओं के  योगदान का बहुत बड़ा हिस्सा है और वो गोवा इफ्फी में भी झलक रहा है।’ – कहना है प्रज्ञा गौड़, अतिरिक्त महानिदेशक, प्रेस सूचना ब्यूरो का।  पाँव में स्नीकर और गोवा की ख़ास कुनबी साड़ी में सजी प्रज्ञा गौड़ 54गोवा इफ्फी में आये देश और दुनिया की  मीडिया को बखूबी संभालती  है।  ‘चाहे फिल्में हो , परदे के पीछे  की ज़िम्मेदारी  हो , महिलाये  आती  रही है। लीडरशिप पोजीशन पर महिलाओं को आना चाहिए। अब कोई क्षेत्र नहीं बचा, जहां महिलाये नहीं है। ” कहना है प्रज्ञा गौड़ का। एक नया ट्रेंड देखने को मिल रहा है।  खासकर जो युवा है उनको भी बहुत सारे ऑप्शन मिल रहे है अलग फिल्ड  में चाहे इंजीनियरिंग हो , मेडिकल हो।  गोवा इफ्फी के सभी क्षेत्रों में महिलाओं को दी गयी ज़िम्मेदारी वो निभा रही है और मेरे लिए ये बहुत गर्व की बात है। ‘ – कहना है प्रज्ञा गौड़ का।

Goa Samachar
Author: Goa Samachar

GOA SAMACHAR (Newspaper in Rajbhasha ) is completely run by a team of woman and exemplifies Atamanirbhar Bharat, Swayampurna Goa and women-led development.

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