अमेरिका और चीन को चुनौती देती भारत की युवा शक्ति / NYP 2003 का मुख्य उद्देश्य युवाओं में देशभक्ति और नैतिकता-परक मूल्यों की भावना का संचार करना

नेशनल युथ पालिसी 2023
इशिता कौर मिश्रा
नई दिल्ली : राष्ट्र की प्रगति और कामयाबी के लिए युवा बेहद अहम होते हैं. संयुक्त राष्ट्र (UN) के ज़्यादातर सतत विकास लक्ष्य (SDGs) युवाओं पर लक्षित हैं. इनमें युवाओं को जनसंख्या के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में चिन्हित करते हुए उनमें निवेश की आवश्यकता को रेखांकित किया गया है. भारत की 66 फ़ीसदी आबादी (80.8 करोड़) की उम्र 35 वर्ष से कम है. इस तरह भारत में दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी मौजूद है. संख्या में अनुमानित गिरावट के बावजूद भारत 2030 में भी अपेक्षाकृत ‘युवा’ देश बना रहेगा. उस वक़्त तक हिंदुस्तान की 24 प्रतिशत आबादी (36.5 करोड़) 15-29 आयु वर्ग में होगी. आज यूरोप के तमाम देशों के साथ-साथ अमेरिका और यहां तक ​​कि चीन भी बुज़ुर्ग होती आबादी और घटती युवा शक्ति की दोहरी समस्याओं से जूझ रहे हैं. ऐसे समय में भारत अपनी युवा आबादी का पालन-पोषण कैसे करता है, यह उसके भविष्य के विकास पथ को निर्धारित करेगा।
आबादी के इस “सबसे गतिशील और जीवंत हिस्से” से संभावित फ़ायदों को अधिकतम करने के लिए भारत सरकार के युवा मामले और खेल मंत्रालय ने राष्ट्रीय युवा नीति (NYP) 2021 का मसौदा तैयार किया. इसमें 2030 तक युवा विकास के लिए 10-वर्षीय दृष्टिकोण की परिकल्पना सामने रखी गई है. मौजूदा NYP 2014 की व्यापक समीक्षा के बाद ये मसौदा प्रस्तुत किया गया है।
भारत की पहली राष्ट्रीय युवा नीति, 1988 में तैयार की गई थी, और आगे चलकर 2003, 2014 और 2021 में इसे अपडेट किया गया. इनमें से हरेक क़वायद के बाद सरकार की नीतिगत प्राथमिकताएं ज़्यादा नवाचार भरी और टिकाऊ दिशाओं में विकसित हुई हैं. इस कड़ी में युवाओं के स्पष्ट सशक्तिकरण के लिए आदर्शों के साथ शुरुआत के बाद ठोस परिणामों की ओर आगे बढ़ा गया है. 21वीं सदी में भारत के विकास के बुनियादी पहलुओं को आकार देने की क़वायदों में युवाओं की भागीदारी पर ज़ोर दिया गया है. मिसाल के तौर पर NYP 2003 का मुख्य उद्देश्य युवाओं में देशभक्ति और नैतिकता-परक मूल्यों की भावना का संचार करना था. राष्ट्रीय एकता और अखंडता को बढ़ावा देने के लिए NYP ने सभी प्रकार की धार्मिक आस्थाओं, विश्वासों और सामाजिक-सांस्कृतिक मूल्यों के सम्मान पर ध्यान केंद्रित किया. नीति में लैंगिक न्याय का उल्लेख करते हुए यह स्वीकार किया गया कि लैंगिक पूर्वाग्रह, महिलाओं के ख़राब स्वास्थ्य और बदतर सामाजिक-आर्थिक कल्याण के लिए ज़िम्मेदार “मुख्य कारक” है. हालांकि, NYP 2003 के लैंगिक न्याय दृष्टिकोण को किसी विशिष्ट कार्यक्रम या कार्य योजना का सहारा नहीं मिल पाया।
इसकी तुलना में NYP 2014 काफ़ी बेहतर ढंग से तैयार किया गया था. NYP 2003 में युवा आयु वर्ग 13-35 वर्ष रखा गया था, जिसे 2014 की राष्ट्रीय युवा नीति में 15-29 वर्ष कर दिया गया. इस बदलाव का मक़सद युवा विकास और सशक्तिकरण के लिए “अधिक केंद्रित दृष्टिकोण प्रदान करना” था. इसके लिए पांच लक्ष्य और 11 प्राथमिकतापूर्ण कार्य क्षेत्रों की पहचान की गई. इनमें मानसिक स्वास्थ्य और नशीले पदार्थों के सेवन जैसे मसले शामिल हैं. राष्ट्रीय युवा नीति 2014 में युवाओं के लिए शिक्षा, जीवन भर सीखने, व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास तक समान पहुंच पर भी ज़ोर दिया गया. हालांकि दूरदर्शी रुख के बावजूद नीति मसौदे को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा. दरअसल विशिष्ट कार्य योजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारियों की कमी और ज़मीनी हक़ीक़तों से इसके “कटाव” के चलते ऐसी आलोचनाएं सामने आईं। (आलेख साभार : ओआरएफ से लिए गए अंश )

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Author: Goa Samachar

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