
पोरवोरिम : चित्रगुप्त सभा समिति, गोवा द्वारा श्री चित्रगुप्त जी महाराज का वार्षिक पूजन समारोह यम द्वितीया तिथि के पावन अवसर पर नोवा सिदाडे रेजिडेंशियल सोसाइटी, पोर्वोरिम स्थित क्लब हाउस में बड़े श्रद्धा और उत्साह के साथ आयोजित किया गया।
पूजन का विधिवत संचालन स्विंकी एवं मोहित लाल श्रीवास्तव द्वारा किया गया। कार्यक्रम का सफल समन्वय मंजुल भटनागर, आशीष वर्मा एवं अनिल श्रीवास्तव द्वारा किया गया।
पूजन उपरांत महाप्रसाद का वितरण किया गया तथा भजन संध्या का आयोजन हुआ, जिसका संचालन मनोज सक्सेना ने किया। इसमें सौरभ जोहरी, मीता, ममता एवं सुशीला ने सुंदर सहयोग दिया।
इस अवसर पर समिति सदस्य संजीव सक्सेना ने कहा, “हमारे समाज के सभी सदस्यों को एक साथ श्रद्धा और सौहार्द के भाव से जुड़ते देखना अत्यंत हर्ष का विषय है। इस वर्ष का आयोजन सचमुच यादगार रहा।”
समिति ने सभी सदस्यों एवं परिवारों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया जिन्होंने इस आयोजन को सफल बनाने में सहयोग दिया।


पांच दिवसीय दीपोत्सव के पर्वों में से एक भाई दूज के दिन चित्रगुप्त पूजा का विशेष विधान है। इस दिन भगवान चित्रगुप्त की पूजा की जाती है, जिन्हें मृत्यु के देवता यमराज के सहायक और समस्त जीवों के कर्मों के लेखपाल के रूप में जाना जाता है।
मान्यता है कि चित्रगुप्त जी हर व्यक्ति के जन्म से लेकर मृत्यु तक के कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं।
इस दिन कलम और दावात (स्याहीदान) की पूजा करने की परंपरा भी है, इसलिए इस दिन को मस्याधार पूजा या कलम-दावात पूजा भी कहा जाता है। यह पूजा ज्ञान, सत्य और न्याय के प्रतीक रूप में की जाती है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को ही भगवान चित्रगुप्त का जन्म हुआ था।
कहा जाता है कि उनका जन्म ब्रह्मा जी के चित्त (मन) से हुआ था, इसलिए उनका नाम चित्रगुप्त पड़ा। चित्त से उत्पन्न।
वे यमराज के सहयोगी होने के साथ-साथ देवताओं के भी लेखपाल हैं, जो हर जीव के कर्मों का हिसाब रखते हैं।
इस दिन श्रद्धालु लोग कलम, दावात, लेखनी और पुस्तकों की पूजा करते हैं और अपने जीवन में सच्चाई और कर्मनिष्ठा का संकल्प लेते हैं।
यह दिन विशेष रूप से लेखकों, पत्रकारों, शिक्षकों, और विद्यार्थियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।

इसके अतिरिक्त, चित्रगुप्त पूजा मनाने के कई अन्य पौराणिक कारण भी बताए गए हैं। मान्यता है कि यमराज ने अपनी बहन यमुना से वचन दिया था कि जो भी व्यक्ति यम द्वितीया या भाई दूज के दिन अपनी बहन के घर जाकर उसके हाथों से तिलक लगाएगा और भोजन ग्रहण करेगा, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा। चूंकि भगवान चित्रगुप्त, यमराज के सहयोगी और कर्मों के लेखाकार माने जाते हैं, इसलिए भाई दूज के दिन भगवान चित्रगुप्त की पूजा करना शुभ और आवश्यक माना गया है।
यह भी मान्यता है कि भगवान चित्रगुप्त कलम और दवात के माध्यम से सभी जीवों के कर्मों का लेखा-जोखा तैयार करते हैं तथा उनके जीवन और मृत्यु की अवधि का निर्धारण करते हैं। इसी कारण चित्रगुप्त पूजा के दिन कलम, दवात और बही-खातों की विशेष पूजा की जाती है। ऐसा विश्वास किया जाता है कि इस दिन श्रद्धा पूर्वक चित्रगुप्त जी की पूजा करने से व्यक्ति को विद्या, बुद्धि, साहस और लेखन-कला का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही व्यापार में प्रगति के अवसर बढ़ते हैं और जीवन की अनेक बाधाएँ दूर होने लगती हैं।
https://goatourism.gov.in/blog-list/tourism-booms-in-goa/
https://goasamachar.in/archives/14611
Author: Goa Samachar
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