3 जी के लिए उठी आवाज़ – गोवा टैक्सी | गोवा ड्राइवर | गोवा किराया

पणजी : गोवा राज्य के विभिन्न समुदायों से नेतृत्व कर रही महिलाओं ने ऐप-आधारित टैक्सी सेवाओं के पक्ष में अपने विचार साझा किये।
जीसीसीआई की चेयरपर्सन आशा अरोन्देकर ने कहा -” अब महिलाएं सभी शिफ्ट्स में काम कर रही है। हॉस्पिटैलिटी, टूरिज्म, इसलिए हमें बड़ा नेटवर्क चाहिए ताकि सभी को कैब उपल्बध हो सके किसी भी समय पर।”

गोवा चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (जीसीसीआई) की महिला विंग द्वारा आयोजित एक बैठक में राज्य भर में ऐप-आधारित टैक्सी सेवाओं के लिए महिलाओं ने एक स्वर में आवाज़ बुलंद किये। महिलाओं ने खुलकर अपने – अपने विचार रखे।
जीसीसीआई महिला विंग के अनुसार, यह मॉडल महिला टैक्सी ड्राइवरों को एक संरचित मंच, बेहतर आय और ग्राहकों तक पहुँच बढ़ाकर भी लाभान्वित करता है। चर्चा में ऐसी नीतियों की मांग की गई जो इस क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी को और बढ़ावा दें और सभी के लिए विश्वसनीय परिवहन विकल्प सुनिश्चित करें।
एप-आधारित टैक्सी सेवाओं से गोवा की महिलाओं को स्थानीय रूप से सुरक्षित, अधिक विश्वसनीय, भरोसेमंद परिवहन सेवा उपलब्ध होगी। के
गोवा , पंजिम के सुरेंद्रबाबू टिंबलो कन्वेंशन हॉल में आयोजित इस बैठक में महिलाओं ने भाग लिया , जिसमे कॉलेज की छात्राओं, कामकाजी पेशेवर, वरिष्ठ नागरिकों से लेकर गृहणियां भी शामिल हुई। स्थानीय टैक्सी ऐप सेवा गोवा के लिए एक ज़रूरी सेवा है, ताकि महिलाओं को दिन-प्रतिदिन के जीवन में बेहतर करने और अधिक हासिल करने में मदद मिल सके।
पल्लवी एस. सालगाँवकर, अध्यक्ष, लघु उद्योग भारती,भारत ने इस बात पर प्रकाश डाला की देश ‘विकसित भारत @2047’ का लक्ष्य प्राप्त करना है इसमें महिला नेतृत्व विकास बहुत मायने रखता है। ऐप-आधारित टैक्सियाँ महिलाओं को यात्रियों और ड्राइवरों दोनों के रूप में अधिक स्वतंत्रता प्रदान करती हैं। ऐसी सेवाएँ महिलाओं को यात्रा के लिए दूसरों पर निर्भर रहने की आवश्यकता को कम करती हैं, जिससे गतिशीलता और सुरक्षा को बढ़ावा मिलता है।
पल्लवी अरोन्देकर , उप निदेशक, जीसीसीआई ने भी ऐप- आधारित टैक्सी सेवाओं के महत्ता पर प्रकाश डाला।
बैठक में संचिता रॉड्रिक्स, रिनी बेराटो, रुचिका डावर, आशा वेर्णेकर, स्मिता पाटिल, सिम्मी कुमार, श्वेता और अन्य कई महिलाएं भी शामिल हुई।
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार – भारत का लक्ष्य 2047 तक 70% महिला कार्यबल भागीदारी हासिल करना है, जो कि विकसित भारत के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की सचिव सुश्री सुमिता डावरा ने एक कार्यक्रम में बताया कि कृषि, विनिर्माण और सेवाओं में वृद्धि के साथ महिलाओं की श्रम शक्ति भागीदारी 2017-18 में 23% से बढ़कर 2023-24 में लगभग 42% हो गई है। हालाँकि, कार्यस्थल पर पूर्वाग्रह, वेतन असमानताएँ, नौकरी की सुरक्षा संबंधी चिंताएँ और सीमित नेतृत्व के अवसर जैसी चुनौतियाँ बनी हुई हैं। उन्होंने प्रगति को गति देने के लिए मेंटरशिप कार्यक्रमों और समावेशी कार्यस्थल नीतियों की आवश्यकता पर जोर दिया।’
केंद्रीय बजट 2025-26 सरकार की उस प्रतिबद्धता को दोहराता है, जिसके तहत 2047 तक महिलाओं की आर्थिक भागीदारी को 70% तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित), उद्यमिता और स्टार्टअप जैसे क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की अपार संभावनाएं हैं। विशेषज्ञों ने संस्कृति, फैशन और डिजाइन के क्षेत्रों में महिलाओं के योगदान को रेखांकित करते हुए, कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों, मार्गदर्शन योजनाओं और महिला-नेतृत्व वाले व्यवसायों को वित्तीय सहायता देने की सिफारिश की। उद्योग के दिग्गजों ने समावेशी नीतियों और टिकाऊ रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए सरकार और निजी क्षेत्र के बीच साझेदारी की आवश्यकता पर बल दिया, जिससे महिलाएं देश की आर्थिक दिशा तय करने में अहम भूमिका निभा सकें।
https://hollywoodlife.com/feature/tyler-perry-movie-straw-ending-explained-5421772/
https://goasamachar.in/archives/14057


Author: Goa Samachar
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